Putra Prapti Ki Date Kaise Nikale

Putra Prapti Ki Date Kaise Nikale – जाने तेजस्वी पुत्र प्राप्ति के उपाय

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पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकाले (putra prapti ki date kaise nikale) । पुत्र प्राप्ति के लिए दम्पति अनेक तरह के प्रयास करते है । जैसे डेट कैसे निकले, कृष्ण पक्ष में लड़का होगा या शुक्ल पक्ष मे इस विषय पर मंथन करते रहते हैं । हालांकि आजकल लड़के व लड़की मे फर्क नही होता है । मगर पुत्र की चाह सदियों पुरानी है । लेकिन जब संतान के रूप मे लड़किया अधिक हो जाती हैं तो लड़के की चाह अधिक बढ़ जाती हैं । यही कारण हैं कि वे पुत्र की चाह मे हजारों मिन्नते मांगते नजर आते हैं ।

यही कारण हैं कि पुत्र प्राप्ति के अनेको जतन मे डेट, कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष या कब सम्भोग करे जैसे विषय सामने आते हैं । आज के लेख में हम कुछ ऐसी रोचक जानकारी साझा करने जा रहे है । जो आपके उपयोगी हो सकती हैं । ये बात अलग हैं कि इतने जतन के बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि आने वाली संतान लड़का ही हो । फिर इस क्रम में आगे बढ़ते है गरुड़ पुराण एवं मान्यताओं के अनुसार हम कुछ सामान्य जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं तो चलिए जानते है – putra prapti ki date kaise nikale

गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भधारण कब करें

विज्ञान के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए पुरुष के वीर्य मे Y गुणसूत्र एक्टिव होना जरूरी हैं । लेकिन Y शुक्राणु कब एक्टिव होते है । या वीर्यपात के दौरान Y गुणसूत्र कब पहले अंडे को निषेचित करते है इनका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है । क्योंकि यह एक कुदरती प्रक्रिया है ।

हमारे धार्मिक शास्त्र गरुड़ पुराण के मुताबिक मासिक धर्म के बाद 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14 व 16वे दिन यदि सम्भोग होता है । तो होने वाली संतान लड़का होने के चांस बढ़ जाते हैं । यह भी माना जाता हैं कि ओवुलेशन पीरियड्स के अंतिम दिन व उनके बाद Y शुक्राणु तेज होते हैं । वही शास्त्रों का मानना है की यदि अर्धरात्रि के पश्चात प्रथम पहर मे संभोग करने पर सुयोग्य व संस्कारी संतान होने की संभावना बढ़ जाती है ।

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शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के लिए डेट कैसे निकाले

यदि आप लड़के की चाहत रखते हैं या यूँ कहे कि आप कोई जतन कर रहे है । तो डेट के लिए कुछ तरकीब अपना सकते है । शास्त्रों के अनुसार, गर्भधारण के लिए शुक्ल पक्ष को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यदि आपकी इच्छा सुंदर और तेजस्वी पुत्र प्राप्ति की है, तो गर्भधारण का सही समय और दिन चुनना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आपको मासिक धर्म चक्र, ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग), और शुभ तिथियों का ध्यान रखना होगा। यहां बताया गया है कि कैसे आप शुक्ल पक्ष में गर्भधारण की सही तारीख निकाल सकते हैं:

Putra Prapti Ki Date Kaise Nikale

पति पत्नी दोनो संभोग पूरे उत्साह के साथ करे एवं दोनो साथ साथ चरम आनंद प्राप्त करें ।

1. मासिक धर्म चक्र का विश्लेषण करें

महिलाओं का मासिक धर्म चक्र 28-30 दिनों का होता है।

  • मासिक धर्म का पहला दिन चक्र का प्रारंभ होता है।
  • ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) चक्र के 12वें से 16वें दिन के बीच होता है।
  • यह समय गर्भधारण के लिए सबसे उपयुक्त होता है।

2. शुक्ल पक्ष की जानकारी प्राप्त करें

  • शुक्ल पक्ष वह समय है जब चंद्रमा बढ़ता है (अमावस्या के बाद पूर्णिमा तक)।
  • इस अवधि में गर्भधारण को शुभ माना जाता है।
  • पंचांग या हिंदू कैलेंडर का उपयोग करें ताकि आप जान सकें कि शुक्ल पक्ष किस तारीख से शुरू हो रहा है।

3. शुभ तिथियों का चयन करें

  • नक्षत्र और तिथि: उत्तरा फाल्गुनी, स्वाति, श्रवण, हस्त, और अनुराधा नक्षत्र में गर्भधारण शुभ होता है।
  • वार: सोमवार, गुरुवार, और शुक्रवार को गर्भधारण के लिए शुभ माना जाता है।
  • योग और करण: पंचांग में योग और करण को देखकर भी शुभ समय का चयन किया जा सकता है।

4. डेट निकालने की विधि

उदाहरण:

  • यदि मासिक धर्म का पहला दिन 5 नवंबर है, तो आपका 12वां से 16वां दिन 16-20 नवंबर के बीच होगा।
  • अगर इस समय शुक्ल पक्ष है और उपयुक्त नक्षत्र व तिथि आती है, तो यह गर्भधारण के लिए सही समय होगा।

5. पुत्र प्राप्ति के विशेष धार्मिक उपाय

  • गरुड़ पुराण और संतान गोपाल मंत्र: गर्भधारण से पहले और बाद में संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।
  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा: शुभ मुहूर्त में विष्णु-लक्ष्मी पूजा से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

सलाह

  • गर्भधारण की सही तिथि निकालने के लिए पंचांग विशेषज्ञ या ज्योतिषी से परामर्श लें।
  • वैज्ञानिक दृष्टि से भी ओव्यूलेशन और स्वास्थ्य की जाँच डॉक्टर से करवाएं।

यदि आपको पंचांग के अनुसार डेट निकलवानी हो, तो आप अपनी मासिक चक्र की तिथि बताकर और अधिक सटीक सलाह ले सकते हैं।

इन उपाय के बाद भी यदि आप गर्भ नहीं ठहरता है तो फिर से डेट निकले और प्रयास करें । साथ ही साथ डॉक्टर से भी परामर्श करें ।

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शुक्ल पक्ष में Putra Prapti Ki Date Kaise Nikale

पुत्र प्राप्ति के लिए कुछ उपाय सदियों पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति मे भी बताया गया है । आयुर्वेद के अनुसार मासिक धर्म की निवृति के बाद सम दिनों मे संभोग करने पुत्र प्राप्ति होने की सम्भवना रहती है । क्योकि इन दिनों मे Y गुण सूत्र सक्रिय रहता हैं । ध्यान रखे कि शुक्ल पक्ष का दिन हो । इस संभोग के बाद अगले पक्ष मे न करें ।

इन दिनों आचार विचार व आहार विहार पर भी नियत्रण रखना भी आवश्यक है। वही आपके दोनो के मन अति उत्साह रखना चाहिए । इस दिन चावल की खीर, दूध के साथ शतावरी चूर्ण एव सुबह मक्खन मिश्री, काली मिर्च मिलाकर कच्चा नारियल व सौफ खाना चाहिए । जिससे आपकी संतान स्वस्थ व सूडोल पैदा होगी ।

इनके अलावा असगंध 10g, गोरचन 30g, गंजपीपल 10g इन तीनो को पिसकर पीरियड्स के चौधे दिन की शुद्धि के बाद लगातार प्रयोग करे ।

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सुंदर एव तेजस्वी पुत्र प्राप्ति के उपाय

आज हर व्यक्ति चाहता हैं उनकी संतान तेजस्वी एव यशस्वी हो । लेकिन यह एक कुदरती प्रक्रिया है जो किसी के हाथ में नहीं है । यहां यह तर्क दिया जा सकता है । यदि सही समय पर गर्भाधान हो या सही समय स्त्री सहवास हो तभी तेजस्वी पुत्र रत्न की प्राप्ति होने की संभावना बढ़ सकती हैं । शास्त्रों का मत के अनुसार तेजस्वी संतान की प्राप्ति की प्रक्रिया ओवुलेशन पीरियड्स के आठवे दिन शुरु होती हैं ।

  • 8वे दिन संभोग करने पर संतान के रूप मे तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हो सकती हैं । यह पुत्र संयमी, परिश्रमिक एव सरल स्वभाव वाला उत्पन होगा ।
  • 9वे दिन से गर्भ ठहरने वाले गर्भ मे लड़की पैदा हो सकती हैं जो मेहनती, सरल व सादा जीवन वाली होती हैं ।
  • 10वे दिन के सहवास करने पर लक्ष्मीवान, धनवान एव विद्वान पुत्र की प्राप्ति हो सकती हैं ।
  • 11वे दिन स्त्री समागम करने से होने वाली संतान लड़की हो सकती हैं जो साक्षात् लक्ष्मी के रूप मे हो सकती हैं ।
  • 12वे दिन उत्साह के साथ किये गये संभोग से राजस्वी, तेजस्वी व ओजस्वी पुत्र की प्राप्ति हो सकती हैं जो सदैव विजयी जीवन व्यतीत करेगा ।
  • 13वे दिन से सहवास से धन लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी के संयुक्त गुणों से समृद्ध पुत्री की प्राप्ति होने की संभावना रहती हैं ।
  • 14 वे दिन स्त्री मिलन से होने वाले गर्भाधान मे एक धर्मात्मा व पुण्यात्मा पुत्र रत्न की प्राप्ति होने की सम्भवना शत प्रतिशत तक हो सकती हैं ।

उपरोक्त जानकारी तभी सही परिणाम दे सकती हैं जब उक्त दिनों मे समागम करने से आपका गर्भ ठहर जाता हैं । और केवल संभोग लक्ष्य प्राप्ति के लिए किया गया हो । यदि आप शारीरिक सुख के लिए संभोग करते है तो संभव नहीं है । इसके अलावा भी यहां कुछ प्राकृतिक उपाय, आयुर्वेदिक तरीके और धार्मिक उपाय दिए जा रहे हैं। यह उपाय शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आपकी सहायता कर सकते हैं।

1. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

  • संतुलित आहार: अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। ताजे फल, सब्जियां, मेवे और डेयरी उत्पाद का सेवन करें।
  • शरीर को फिट रखें: नियमित योग और प्राणायाम करें। यह मानसिक तनाव को कम करता है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है।
  • नशीली चीजों से बचें: शराब, धूम्रपान और अन्य नशीली चीजें आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।

2. आयुर्वेदिक उपाय

  • अश्वगंधा और शतावरी का सेवन: आयुर्वेद में अश्वगंधा और शतावरी को प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी माना गया है।
  • च्यवनप्राश का सेवन: यह शरीर को पोषण देता है और प्रजनन तंत्र को मजबूत करता है।
  • तुलसी और शहद: तुलसी के पत्तों के साथ शहद का सेवन करने से हार्मोन संतुलन में सुधार होता है।

3. धार्मिक और पारंपरिक उपाय

  • पुंसवन संस्कार: हिंदू धर्म में गर्भधारण के दौरान पुंसवन संस्कार का विशेष महत्व है। यह गर्भस्थ शिशु के स्वस्थ और सुंदर होने के लिए किया जाता है।
  • भगवान विष्णु की पूजा: संतान गोपाल मंत्र का जाप करने से भी सुंदर और तेजस्वी संतान की प्राप्ति की मान्यता है।
  • सूर्य पूजा: प्रतिदिन उगते सूर्य को जल अर्पित करना और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना लाभदायक होता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप: यह मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है।

4. गर्भधारण के सही समय का चयन

  • महिला का स्वास्थ्य: मासिक धर्म चक्र के समय में ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) के दिनों को पहचानें। यह गर्भधारण के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है।
  • पंचांग का सहारा लें: शुभ मुहूर्त में गर्भधारण के लिए पंचांग का परामर्श लेना शुभ माना जाता है।

5. मानसिक शांति और ध्यान

गर्भधारण के समय और बाद में महिला को तनाव मुक्त रखना बहुत जरूरी है। सकारात्मक सोच और ध्यान आपके मन और शरीर को संतुलित रखते हैं।

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कृष्ण पक्ष में लड़का होता है या शुक्ल पक्ष में

अब यहां एक सवाल सबसे अहम है कि लड़का शुक्ल पक्ष मे होता है या कृष्ण पक्ष में । तो इस सवाल के जबाब मे हम आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं । इस बारे में रिसर्च करने पर यह बात सामने आई है कि पक्ष कोई मायने नहीं रखता । अगर यहां मायने रखता हैं तो सिर्फ सम या विषम ।

यानी सम रात्रि मे यदि समागम होता है तो गर्भ ठहरने की स्थिति में लड़का हो सकता हैं । इसी प्रकार विषम रात्रिकाल मे गर्भ ठहरने पर होने वाली संभावित संतान लड़की हो सकती हैं । कही कही भर्मित करने वाली पोस्ट सामने आती हैं कि शुक्ल पक्ष में लड़के की प्राप्ति होने की संभावना रहती हैं । लेकिन ऐसा कुछ नहीं है ।

अंतिम शब्द – आज के लेख मे putra prapti ki date kaise nikale ? मे दी गई जानकारी केवल सामान्य है लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि पुत्र पुत्री मे कोई अंतर नहीं है । यह एक कुदरत का खेल हैं । अंत यही कहना चाहेंगे की पुत्र प्राप्ति के लिए के लिए सम विषम रात्रि का ध्यान रखें । दूसरी बात एकादशी, पूर्णिमा व अमावस्या तिथि पर ब्रहचारी का पालन करें । इस दिन समागम न करें ।

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